Thursday 14 March 2019

गजल-116 दरदे गम का जब से

दर्द-ए-ग़म का जब से हम इजहार करने लगे हैं।
उसको नासूर बनाने में लोग दिखने लगे हैं।।अजब सिफत है दुनिया में नामुरादों की। जिसे सहारा दो वही बात-बेबात तनने लगे हैं।।
तुम्हारी आंखों में जो ये काले-बादल हैं दिखते।
बरबस हमें देख वो आजकल बरसने लगे हैं।।
आईना भी तोड़ दिया लो अब हमने।
ख्वाब जो अंगड़ाई ले महकने लगे हैं।।
बिन पिए चला जाता नहीं अब तो दो कदम।  पीकर दो घूंट इश्के हकीकी समझने लगे हैं।।
एक अजीब नशा चढ़ रहा है फितरत में हमारी।
लोग हमको अब पागल समझने लगे हैं।।
है सितारों की क्या बिसात कहो "उस्ताद"।
वो तो हमसे पूछ अब तकदीर लिखने लगे हैं।।
@नलिन #उस्ताद

No comments:

Post a Comment