खेली अजब गजब होली साईं आंगन आज सबने।
मस्त उड़ाया अबीर गुलाल साईं आंगन आज सबने।।
काम क्रोध समस्त विकार मिटाकर निमॆल तन मन।
भर दिया भक्ति रस रंग साईं आंगन आज सबने।।
एक दूजे के रंग में रंग कर अपनी सुध बुध भूले।
ताल कदम एक सुर साधे साईं आंगन आज सबने।।
तन मन भीगा रोम रोम हम सबका एक साईं के रंग में।
आंखों से क्या खूब पिया मधुरस साईं आंगन आज सबने।।
अब तो प्रीत की लौ जली रहे और उठता रहे आॅखन यही खुमार।
मांगा नतमस्तक हो साईं से वरदान साईं आंगन आज सबने।।
@नलिन #उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Thursday, 21 March 2019
होली साईं आंगन
Thursday, 14 March 2019
गजल-116 दरदे गम का जब से
दर्द-ए-ग़म का जब से हम इजहार करने लगे हैं।
उसको नासूर बनाने में लोग दिखने लगे हैं।।अजब सिफत है दुनिया में नामुरादों की। जिसे सहारा दो वही बात-बेबात तनने लगे हैं।।
तुम्हारी आंखों में जो ये काले-बादल हैं दिखते।
बरबस हमें देख वो आजकल बरसने लगे हैं।।
आईना भी तोड़ दिया लो अब हमने।
ख्वाब जो अंगड़ाई ले महकने लगे हैं।।
बिन पिए चला जाता नहीं अब तो दो कदम। पीकर दो घूंट इश्के हकीकी समझने लगे हैं।।
एक अजीब नशा चढ़ रहा है फितरत में हमारी।
लोग हमको अब पागल समझने लगे हैं।।
है सितारों की क्या बिसात कहो "उस्ताद"।
वो तो हमसे पूछ अब तकदीर लिखने लगे हैं।।
@नलिन #उस्ताद
Wednesday, 13 March 2019
गजलः 115 जुल्फ की पेंच खोल
जुल्फ की पेंज खोल लट लहरा दी उसने मेरी।
उथली सी जिंदगी क्या खूब गहरा दी उसने मेरी।।
काॅच-पत्थर,सीप-मोती,क्या कुछ बटोर रहा था मैं।
चाहतें सारी बन के तूफान बिखरा दी उसने मेरी।।
आज हूं कल नहीं ये खौफ तो हर आदमी का है।
मगर सच कहूं यह बात भी बिसरा दी उसने मेरी।।
दुनिया उसकी,नूर उसका हर तरफ जलवा फरोज दिखा।
यूं हकीकत से,रूबरू मुलाकात करा दी उसने मेरी।।
अब वो है"उस्ताद"और शागिदॆ हूॅ मैं उसका।
यह बात कायदे से जहन उतरा दी उसने मेरी।।
@नलिन #उस्ताद