कृष्ण को पाने जो कोई बन जाए राधा।
दुख कष्ट फिर मिट जाए उसका सारा।।
राधा ही है नेपथ्य कृष्ण की शक्ति दाता।
पुण्य प्रताप से जिसके बहे कृपा धारा।।
प्यार ऐसा बरसाती बरसाने की राधा।
भगवान बन जाए भक्त उसका आला।।
सागर मिलने नदी से व्यग्र जैसे होता।
नदी भी करती समर्पण अपना सारा।।
यूँ भी कहिए तो कहाँ भेद कृष्ण-राधा।
जो भी समझा वहीं असल राज जाना।।
जीवन में उसको दबोचे कैसे फिर माया।
नाम ले जो भी ता-उम्र कहता राधा-राधा।।
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