ज्यादा मगजमारी,बारीकियों पर न कीजिए।
जब तक सुकून मिले,तब तलक मौज करिए।।
आसान नहीं रही,जिंदगी की राहें कभी भी।
लबों पर किसी जुगत,हंसी बचाकर रखिए।।
अपना कहते हैं,मानते हैं अगर किसी को।
उनसे तो दिल खोल कर,बतिया लीजिए।।
सावन नहीं बरसे बादल तो,मुरझाइए जरा भी नहीं।
परवरदिगार की नेमत पर हर-हाल,भरोसा पालिए।।
"उस्ताद" चलते हैं,जानिब-ए-मंज़िल सब अकेले ही।
मिले कोई हमसफ़र तो ठीक,वरना यायावर चलिए।।
SKETCH BY "SIDHARTH" MY DEAR BHATIJA
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