Thursday 21 September 2023

591: ग़ज़ल:गोल दुनिया

दर्द हद से बढ़ा तो तबीयत खराब हो गई।
शुक्र है पर इस बहाने दवा शराब हो गई।।

जो इश्क परवान चढ़ा तो जरा कयामत देखिए।
लचकती टहनी पर वो लाल सुर्ख गुलाब हो गई।।

इश्क में फेंका जो कंकर यार ने छेड़ने की खातिर।
हंसी लबों पे उसके खिलखिलाती तालाब हो गई।।

मिलेंगे मुहब्बत में कभी तो हम चाहे हो रहे जुदा आज।
बात ये दर्ज गोल दुनिया बतौर हिसाब-किताब हो गई।। 

डूबे जो बस उसके ही एक रंग में तो "उस्ताद" ये हुआ। 
हकीकत जो लगती थी जिंदगी वो महज ख्वाब हो गई।।

नलिनतारकेश @उस्ताद

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