I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Friday 29 September 2023
596: ग़ज़ल: वो मुझे चाहता है
Thursday 28 September 2023
597: ग़ज़ल: इसे सबसे छिपाना चाहिए
Monday 25 September 2023
595: ग़ज़ल: दहलीज पार कर न सका
Sunday 24 September 2023
594: ग़ज़ल: यायावर चलिए
Saturday 23 September 2023
593: राधा अष्टमी नन्दा अष्टमी की हार्दिक बधाई
Friday 22 September 2023
592:ग़ज़ल: ईनाम कर दूं
Thursday 21 September 2023
591: ग़ज़ल:गोल दुनिया
Wednesday 20 September 2023
590: ग़ज़ल: जड़ों को जमीं से
Tuesday 19 September 2023
589::ग़ज़ल :लिखवाता तो ईश्वर था।
Monday 18 September 2023
588:ग़ज़ल: निभाओगे
Sunday 17 September 2023
587: ग़ज़ल: दिल को बहलाते हैं
Saturday 16 September 2023
586:ग़ज़ल: मीठी रसीली जिन्दगी
Thursday 14 September 2023
585: ग़ज़ल: मेरे आशियाने में
खिले तो बहुत फूल,छोटे से इस आशियाँ में मेरे।
जब आओगे मगर तुम बहार तो हम तभी मानेंगे।।
ये शहर सच कहूँ कतई रास आ नहीं रहा अब मुझे।
सोचता हूँ जाकर फिर से बस जाऊं पहाड़ में अपने।।
माना बड़ी तेजी से गाँवों को निगलते ही जा रहे शहर।
अभी भी लेकिन कुदरत भरती यहाँ ताजा हवा फेफड़े।।
वो चाहता है जितना तुझे उतना और कौन चाहेगा।
रहता जो दिल में बेकार ढूंढ रहा उसे तू बुतखाने में।।
मोबाइल तो छूटेगा नहीं कसम से आपके हाथ से हुजूर।
चलिए फिर एक सेल्फी ही मेहमाननवाज़ी में ले लीजिये।।
कम से कम "उस्ताद" इतनी तो तहजीब बनाए रखिए।
बगैर मुंह बनाए कीजिए अपनों के संग में दो बात हंसते।।
नलिनतारकेश@उस्ताद
Wednesday 13 September 2023
584: ग़ज़ल: हम नहीं निभा पायेंगे
पुरसाहाल लेंगे नहीं कभी वो,भूल के भी बरसो में।
हां मिलेंगे महफिल में जैसे,बगैर मिले मर ही जाते।।
नए जमाने के शउर तो,तौबा-तौबा गले उतरते नहीं।
काम जब पड़ेगा तो,श्रीमान गले आपके पड़ जाएंगे।।
तुरपन करके,जैसे-तैसे चलाते थे काम,पहन फटी नेकर। अब तो मियां बाजार में बिक रहे,क्या खूब ब्रांडेड चिथड़े।
वक्त का ऊंट बेहयायी से बदलेगा करवट,किसे गुमाँ था।
नाते-रिश्ते कौन पूछे,मरे तो हेल्पलाइन से अर्थी उठाएंगे।।
तन्हा रहना ही हमें रास आता,सच कहते खुदा कसम।
ये दुनियावी चोंचले तो "उस्ताद" हम नहीं निभा पायेंगे।।
नलिनतारकेश@उस्ताद
Tuesday 12 September 2023
583:ग़ज़ल: जाने क्यों इतने चिढ़े हैं लोग
Monday 11 September 2023
582: ग़ज़ल :साथ सफर का
कुछ खामियां तुझमें हैं और कुछ मुझमें ज्यादा।
रास्ता तो हमें ढूंढना होगा मगर साथ सफर का।।
भूला दिया हो चाहे तूने मुझको मेरे हमसफर।
प्यार मैंने किया था तो कहाँ तुझे भुलाना था।।
आसमान ने बाहों में,जो भर लिया घनी बदली को।
रात भर जाम पर जाम का,बनता तो था छलकना।।
सुरमई हुई शाम,महक सौंधी-सौंधी सी जो उठी।
चांद भी लजाकर जाने कहाँ,चुपचाप चला गया।।
ये कुदरत भी पल में तोला,पल में माशा बदलती रंग है।
दिन तक "उस्ताद" उमस थी रात पर पारा ढुलक गया।।
नलिनतारकेश