तेरे दर पर सजदे से निशान जब हमारे बने।
बस इसी गुरूर के चलते,रूबरू न हो सके।।
सांसे थम सी जाती हैं देख के जब तस्वीर तेरी।
हो हकीकत जब मुलाकात तो क्या हालात बने।।
हर रेशे-रेशे,कतरा-कतरा जब तू ही रहे।
ये है तेरा,ये है मेरा,भला फिर कैसे चले।।
सफर जिंदगी का तंग तो कभी दरियादिली भरा।
तू जो पकड़ ले अगर हाथ,फिर किसे परवाह रहे।।
तेरी इनायत जो देख सके रंजोगम में भी।
कहो क्यों न उसे हर कोई "उस्ताद" कहे।।
नलिनतारकेश @उस्ताद
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