पता है दर्द से भरी हैं राहें मुहब्बत की।
ये बन गई है मगर अब मजबूरी हमारी।।
आने का वादा करके भी वो आए नहीं कल।
दरअसल ये किस्मत भी है करती दग़ाबाज़ी।।
वक्त भी ये कसम से कम जालिम है नहीं।
साथ में उनके है इसकी सांठगांठ पुरानी।।
ख्याली बादलों की,दिल-ए-आसमां पर आवा-जाही।
खूबसूरत तस्वीरें बनाकर उनकी,हमको है दिखाती।।
तमाम खबरें दुनिया भर की पता तो हैं मुझे।
यारब बस एक खबर अपनी ही मिलती नहीं।।
"उस्ताद" नाउम्मीदी भी इस कदर गहरी न पालो।
राख के नीचे सब्र से देखो तो सही,मिलेगी चिंगारी।।
नलिनतारकेश @उस्ताद
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