चलो एक नया चलन अब शुरू करें।
उतर के दिल में उसके गुफ्तगू करें।।
वो कहीं भी हो बस याद आए हमारी।
ऐसा हिचकियों का उसपर जादू करें।।
बेवजह बेवफा ही जब वो हो गया प्यार में।
हमें भी क्या पड़ी है मोतियों को आंसू करें।।
हर लफ्ज़ जो भी निकले वो तौलकर हमसे।
जुबां को हम अपनी हक़ीक़ी* तराजू करें।।*असल
अंधेरों में जब साथ छोड़कर जाएं सभी।
आओ "उस्ताद" हम खुद को जुगनू करें।।
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