सवाल जवाब के दौर से हम उबर चुके हैं।
अब हुजूर अपने रश्क-ए-कमर हो गए हैं।।
कट के जो पतंगे आ जाती हैं अपने आंगन में।
सौंप बच्चों को फिर वो भर जोश से उड़ाते हैं।।
चिलमन से जरा बाहर निकल के तो देखिए।
नई इबारतें कौन-कौन सी लोग लिख रहे हैं।।
हवा,पानी,आग,मिट्टी,आकाश के पुतले हैं हम।
फ़ना हो जायेंगे उन्हीं में क्यों ज्यादा सोचते हैं।।
कयामत की रात तुम्हारी तो जाने कब आए न आए।
हर दिन,हर रात गले "उस्ताद" बस उसको लगाते हैं।।
नलिनतारकेश@उस्ताद
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