Tuesday, 26 October 2021

399- गजल: सिक्कों से न तौलिए

रोना रोकर वक्त की कमी का नजरअंदाज न कीजिए। रिश्तो की दूरियों को यूँ बेवजह आप झटक न तोड़िए।।

दौलत शोहरत कमा रहे तो ये बात बेमिसाल है।
सोने,चांदी की चमक से मगर यूँ अन्धे न होइए।।

दिल धड़कता है बस असल प्यार के अहसास से। दिलो-दिमाग में इसकी कमी जरा न होने दीजिए।। 

बदला है मिजाज़े वक्त मगर सँवारना तो हमें ही होगा। 
जरा-जरा सी हर बात पर हुजूर यूँ हौसला न छोड़िए।।

आँखों में सच्चे प्यार की कशिश अलग ही चमकती है। "उस्ताद"हर बात को महज सिक्कों से न  तौलिए।। 

नलिनतारकेश

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