Monday, 3 October 2011

नलिन नाल

नलिन नाल जुडी है ब्रम्ह से
या कहूँ तो,ब्रह्म की नाल से
जुडा प्रस्फुटित है "नलिन"
तो भला सोचो जरा
नलिन क्यूँ हो मलिन
वह तो सदा निर्मल
 विहसता ही रहेगा 
हर घडी,हर पल
जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में
उसकी सहज मोहक,सरल चितवन
भर देगी हर किसी के अंतर्मन में
एक अद्भुत शांति
करुना, प्रेम, सहृदयता
जो अनिवार्य है
जीवन के सतत
प्रवाहमान रहने के लिए
सत्यम,शिवम्, सुन्दरम की
जागृत अनुभूति के लिये

No comments:

Post a Comment