सवाल पूछो तो जवाब कहाँ वो देनाचाहता है।
उल्टे जवाब का हर सवाल माँगना चाहता है।।
नूरा-कुश्ती सी हैं,यूँ आज कल की बहसें।
बस गोली ना चलें,देश ये इतना चाहता है।।
जरूरी नहीं ये नेता बदलने का देश बीड़ा उठाएं।
आवाम तो अब उनको ही बदलना चाहता है।।
बहुत दिन हुए उसे इत्र में डूबा ख़त भेजे हुए।
मिले जवाब महबूब का वो इतना चाहता है।।
हसरतें बहुत थीं उसकी मगर सभी अधूरी रहीं।
कयामत के दिन वो हिसाब सबका चाहता है।।
चारों तरफ फैला है बहुत तिलिस्म उसकी कायनात में।
देखना हटा के नकाब उसे वो बेपरदा चाहता है।।
बड़ा एहसान सा करता है"उस्ताद"लिखकर हर दिन गजल।
अल्फाजे दौलत वो उसकी खातिर लुटाना चाहता है।।
@नलिन #उस्ताद
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