बरसन लागी रस फुहार।
मेरे घर आंगन के द्वार।।
झूम-झूम मैं नाच रही।
राग मेघ-मल्हार।।
संग पिया मेरे अलबेले।
करते प्रेम इजहार।।
गरज-गरज बादल बरसे।
प्यार तो छाया सकल संसार।।
नई छटा है,नया रंग है।
छाया नया खुमार।।
बहुत दिनन पिया मिले हैं।
सखी,करने दे अभिसार।।
अभी-अभी तो आए हैं।
ना जाएं कर ऐसा उपचार।।
प्रीत का रोग है ही ऐसा।
लागे जाको,हो जाए बेकार।।
मैं तो फिर श्यामा बदरी।
बरसन को तैयार।।
श्याम पिया जब आ ही गए।
सजने ,दे रास-रंग दरबार।।
नलिन,नलिन-दल सेज सजा दे।
करने मधु-यामिनी श्रृंगार।।
@नलिन #उस्ताद
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