जाने क्यों वो इतना हर वक्त बेचैन रहता है।
यूॅ जबकि कहता है हर काम मेरा खुदा करता है।।
यूॅ ऐसे भी है जो करते हैं हर काम अपने हिसाब से।
पर कहने को कहें,कहां उसके बगैर पत्ता खटकता है।।
दकियानूसी बता मां-बाप को झिड़कता रहा जो।
आज एक उम्र मैं वो खुद भी वही काम करता है।।
मंदिर,मस्जिद,चर्च,गुरुद्वारा जाना तो सब में ठीक है।
मगर भिखमंगा जो बाहर उसमें भी खुदा रहता है।।
दलित,मुफलिसों के घर अपना जूठन गिराना आजकल।
मुहब्बत नहीं असल मकसद तो कुछ और रहता है।।
चाहे करता हो लाख तदबीर का बखान "उस्ताद" ।
वो जानता है हर हौंसला रब ही दिया करता है।।
@नलिन #उस्ताद
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