अहसान किसी का बूंद भर भी दरिया समझना चाहिए।
ता उमर अपनी हर हाल उसे तो याद रखना चाहिए।।
दिल-ए- दरिया में मौजों का मेरी उन्मान तूने पढ़ा ही नहीं।
बहुत कुछ है बाकी सुरूर मेरा थोड़ा सब्र तो रखना चाहिए।।
कसम दे उसकी पिलाने लगे लोग सुबह शाम मुझको।
ग़ालिब सा कलाम ना सही पीना तो सीखना चाहिए।।
बहुत नजदीकियां बेवजह तिल का ताड़ बनती हैं अक्सर।
है वक्त का तकाजा यही बना एक दूरी रखना चाहिए।
"उस्ताद"यूॅ तो तुझे पीने की जरूरत नहीं है एक बूंद।
भीतर मगर मयखाना चाहे यारों का दिल रखना चाहिए।।
@नलिन #उस्ताद
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