केंचुली उतार दे हर सुबह बीते दिन कि तू अपनी।
हर दिन नई सांस के साथ जी जिंदगी तू अपनी।।
दिल के सागर छुपे हैं नायाब हीरे मोती।
ला दिखा ही दे खोलकर अब झोली तू अपनी।।
खुदा की इनायत जो तुझ पर हर लम्हा बनी हुई।
सुना दे तफसील से किताब-ए-जिंदगी तू अपनी।।
चलता है जब सब कुछ यहाॅ उसकी ही मर्जी।
भला क्यों जोर दे रहा है अकल तू अपनी।।
बहुत ही है शौक काम करने का अगर तुझको।
कमी ना हो देखना बस इबादत में तू अपनी।।
इरादे पक्के और रख के नजर बस एक मंजिल।
हर हाल पकड़ राह अलमस्त चला चल तू अपनी।।
लोग कब से हैं बेकरार देख महफ़िल में आज।
गुनगुना दे जरा "उस्ताद" नई गजल तू अपनी।।
@नलिन #उस्ताद
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