पारा-पारा दिल हुआ मेरा बेवफाई से तेरी। खबर क्या हमें मिलेगा ये सिला मुहब्बत से तेरी।।
दिल-ए-जज्बात भला एक तेरे ही पास तो नहीं है।
आंख छलकती है मेरी भी तोहमतों से तेरी।।
तूने तो कह दिया,गाकर दर्द भी हल्का कर लिया।
कहूं किससे जो निजात दिलाए बातों से तेरी।।
नकली दुनिया से दिल लगाने की है जरूरत नहीं।
सुलझेगी जिंदगी बस बंदगी,अरदास से तेरी।।
बातों में यूं तो बातें हैं बहुत और नहीं कुछ भी। दरअसल चलता नहीं यहां कुछ भी मर्जी से तेरी।।
तुझे जो है मिली ये जिंदगी खुदा के अहले करम से।
"उस्ताद"छलकनी चाहिए बस मस्ती निगाहों से तेरी।।
@नलिन #उस्ताद
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