पी थी शराब मैंने उस दिन उसका दिल रखने के लिए।
फर्क है नहीं क्योंकि जहर और आबेहयात मेरे लिए।।
देखी है हमने भी दुनिया,बाल धूप में नहीं सफेद किए हैं।
सब तुम ही कहते रहोगे या रखोगे माद्दा सुनने के लिए।।
खामियाॅ ना रह जाएं एक भी आओ हम कुछ ऐसा करें।
आते हैं बस लोग दुनिया में किरदार निभाने के लिए ।।
सजना संवरना यूं तो है बेकार सब फिजूल बेमानी सा।
मगर बुलबुले में कुछ रंग चाहिए खुद का दिल बहलाने के लिए।।
एक दौर ऐसा भी आता है जिंदगी में "उस्ताद" देखो।
छोड़ना पड़ता है वो सब जो ताउम्र संजोया अपने लिए।।
@नलिन #उस्ताद
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