कभी बरसात में भीगना चाहिए
बरसाती को घर छोड़ना चाहिए।
मौसम भी बाॅवला हो सकता है कभी
खालिक* को कभी न भूलना चाहिए।(सृष्टि रचेता)
भटक सकता कभी भी कोई डगर
आईना न मगर तोड़ना चाहिए।
आलिम* भी नादानी कर जाते कभी (बुद्धिजीवी)
मौजूॅ# हर सवाल तो पूछना चाहिए।
गुनाह क्या और है क्या सवाब#(पुण्य)
दिल में उतर देखना चाहिए।
रूठो चाहे दुनिया से लाख मगर
खुद से"उस्ताद"बोलना चाहिए।
No comments:
Post a Comment