नजर रोज उनसे मिलने लगी है।
गजल खुद ब खुद ही रिसने लगी है।।
चांद,तारे,हवा,फूल,आसमां।
कायनात अपनी लगने लगी है।।
दोजख भरी जिन्दगी अब तो।
हसीन बहुत दिखने लगी है।।
लफ्ज मौन,खामोशियां बोल रहीं।
दिलों की धड़कन मचलने लगी है।।
आंखों में नशा,दिल में है मस्ती।
लगन"उस्ताद"अब ऐसी लगी है।।
@नलिन #उस्ताद
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