तेरी गली में मेरी मुहब्बत के होते आम चरचे हैं
मेरी गली में तेरी बेवफाई के होते खूब चरचे हैं।
हाथ अंगुली काट शहीदों में नाम लिखा तो लिया
मगर गुनाहों के आज तेरे हर तरफ चरचे हैं।
जिसने रंग बेशुमार भर दिए इस जिन्दगी में
लबों पर उस परवरदिगार के हर रोज चरचे हैं।
बच्चे सा मासूम जिगर लिए जो फिरते हैं हर गली
कयामत तक गूंजते ऐसे फकीरों के हर रोज चरचे हैं।
घर के जोगी तुम भी निकले फकत "उस्ताद"
वरना तो दुनिया जहाॅ में तेरे ही नाम के चरचे हैं।
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