भुजाओं का बल दिखा जब लंकेश बन जाता है वो।
पीयूष अपने ज्ञान का स्वयं ही सुखाता है वो।।
वाहवाही,चाटुकारिता से उसे कहाॅ फुसॆत भला।
कब्र खुद की खोद रहा जाने नहीं बेचारा है वो।।
कहो कौन किसका सहारा बना दुनिया में आज तक।
अपना उल्लू सीधा करने बस बरगलाता है वो।।
बाॅध आॅख में पट्टी,आरोप लगाता फिर रहा।
खुद विषबेल सींच,आम की जड़ कटवाता है वो।।
तारकेश भगवा,साम्प्रदायिक लफ्ज बता रहा है वो।
कलाम सेक्यूलर"उस्ताद"का चाव से सुनाता है वो।।
@नलिन #उस्ताद
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