प्यार भरी गजल जब हमने आज लिख दी।
चुनौती कठमुल्लों को बड़े नाज लिख दी।।
शबनम,फूल,झील और रंग ढेर सारे।
लो कायनाते इबारत आवाज लिख दी।।
होना नजूमी*भारी पड़ा उसकी जिन्दगी पर।
कच्चा-चिठ्ठा खोलती किताब दगाबाज लिख दी।।*ज्योतिषी
इश्क और मुश्क में भला कहो गलत-सही क्या।
देर ही सही उस पर गजल हो नाराज लिख दी।।
इशारों-इशारों जो बात उनसे होने लगी।
मुहब्बत की बात खुलेआम छोड़ लाज लिख दी।।
चलाता है सारी दुनिया का कारोबार जो।
वसीयत उसे"उस्ताद"अपने अंदाज लिख दी।
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