हिंदी मेरे भारत की बिंदी
हालत इसकी चिंदी-चिंदी।
राष्ट्रभाषा थी यह बनने वाली
अब तक इसका आसन खाली।
प्रेम,हज़ारी,नागर की तुलसी
पंत,प्रसाद के आँगन में हुलसी।
अमरबेल आ इससे जो लिपटी
एक दिवस में तभी तो सिमटी।
कायाकल्प कर सकती है हिंदी
तन-मन इसकी लगे जो हल्दी।
हिंदी विश्व की तीसरी भाषा है जो सर्वाधिक प्रचलित है. अपने देश की भाषा में जो मिठास है वह अनय्त्र कहाँ !
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