शिक्षक -दिवस का है आज बड़ा ही पुण्य अवसर
श्रद्धा नमन करते गुरुवर आपको शीश झुकाकर।
आपके ही नित दिखाए मार्ग पर हम चलकर
सहज ही पहुँच गए शून्य से चल शिखर पर।
आदर सम्मान कैसे कर सकते हम आपका गुरुवर
सब तो है मिला आपसे हमारा कहाँ कुछ यहाँ पर।
बस चाहते हैं मिलता रहे आशीष आपका हमें निरंतर
यूँ ही चलता रहे जीवन हमारा जैसे हो एक त्यौहार।
शत-शत नमन एवं अभिवादन।
जिसने गुरु के महात्म को समझ लिया उसका बेड़ा पार हो गया !
ReplyDelete