216 - भक्ति का वरदान दे दो
- मैं तो सोचता था प्रभु
- मांगू तुम्हारी भक्ति
- मगर मेरे मन में तो
- गहरे छुपी हुई थी
- कामनाएं अनगनित
- सो तुम्हारी भक्ति जो
- खिलती निर्मल वाटिका में
- कैसे बसती मेरे ह्रदय में
- इसलिए ही तो अब तुमसे
- करता हूँ मैं प्रार्थना
- मन में बसती कामना को
- जड़मूल से उखाड़ दो
- मुझे अपना बना कर
- भक्ति का वरदान दे दो।
मुझे भी कुछ वरदान दे दो प्रभु राम !
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