आजकल चारों तरफ सियासत है इस कदर हावी
दिखती है हर जुबान पर अब एक तल्खी सी हावी।
विश्वास करे तो किस पर करे ये कौम आदमी की
लगता हरेक पर रूह शैतान की हो गयी हावी।
प्यार,अहसास,बंदगी,सलाहियत की बात सारी
कौन करे,सब पर लगता है जहालत हुई हावी।
"उस्ताद" को कहाँ परवाह शागिर्द के तालीम की
उस पर तो फ़िक्र बस अपनी फीस की है हावी।
दिखती है हर जुबान पर अब एक तल्खी सी हावी।
विश्वास करे तो किस पर करे ये कौम आदमी की
लगता हरेक पर रूह शैतान की हो गयी हावी।
प्यार,अहसास,बंदगी,सलाहियत की बात सारी
कौन करे,सब पर लगता है जहालत हुई हावी।
"उस्ताद" को कहाँ परवाह शागिर्द के तालीम की
उस पर तो फ़िक्र बस अपनी फीस की है हावी।
Touching..... Keep it up
ReplyDelete