Monday, 30 November 2015

साईंमय हैं हम

साईंमय हैं हम
बस इसका आभास हो जाए।
बीच में जो पाली है
हमने खुद से
तेली की दीवार
वो ढह जाए।
बस फिर कहाँ है
दुःख,कष्ट,पीड़ा
हमारे जीवन जगत में।
सब तरफ तो है छाया
आनंद ही आनंद
मात्र परमानंद।
जिसमें हम निमग्न
तिरते हैं हर छन सदा।

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