कौतुक प्रिय बाल गोपाल हमारे, करते हैं कौतुक देखो सदा।
देख-देख क्रीडा हम सब उनकी भौंचक बस ले रहे बलईयां।।
कभी घुमाते नयनों को तो कभी छुपाएं पड़ें उनको हाथों से।
हंसने के तो बहुत भाव लेत हैं, हां यदा-कदा दिखा देते दतियां।।
घर बैठे मनोरंजन होए रहा भला और हमें क्या चाहिए भईया।
इनकी विलक्षण लीला देख-देख हम तो निहाल हो रहे दईया।।
🥰🥰🥰🥳
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