उसे जब ये पता है मेरे दिल में क्या है।
जाने फिर क्यों पूछता मुझसे सदा है।।
दूरियां तो बढ़ी हैं दिलों में तभी अक्सर।
आपसी एतबार जब-जब कम हुआ है।।
बचपन से हुआ है भला कौन मवाली।
ये सब तो बिगड़ी सोहबत ने किया है।।
रास्ते मिलेंगे तो जाकर सब एक ही जगह।
बेमतलब फिर ये क्यों जड़े-फ़साद बना है।।
जिस्म,खूं,रूह से सजे-संवरे हम-तुम तुम सभी।
आखिर किस बात पर "उस्ताद" फासला बढ़ा है।।
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