परवरिश ये कैसी दी हमने,लाहौल विला कूवत।
पराए हो गए,हमारे अपने,लाहौल विला कूवत।।
तहज़ीब के खिलाफ हैं जंग छेड़े,हमारे ही नौनिहाल।
लाचारी में हम हैं बस कह रहे,लाहौल विला कूवत।।
बेशर्मी की हदें सब टूट रही हैं इत्मीनान से देखिए।
चारा कुछ है नहीं सो कहिए,लाहौल विला कूवत।।
मुठ्ठी से पारे की तरह फिसल रही है जिंदगी हमारी।
होश मगर आने की फिक्र किसे,लाहौल विला कूवत।।
हर कोई "उस्ताद" है यहां,आज तो अपने आप में।
समझ न आता,रोएं या हंसे,लाहौल विला कूवत।।
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