मंजिल भी मिलेगी कभी खिरामां-खिरामां।।
मौसम हुआ आज देखो कितना सुहाना।
हवा भी है मस्त बहती खिरामां-खिरामां।।
इश्के बीमारी अभी तो जुम्मे-जुम्मे लगी है।
बढ़ेगी अभी और हमारी खिरामां- खिरामां।।
बरसने लगे हैं आज उमड़कर सावन के बदरा।
लगा काजल जब वो निकली खिरामां-खिरामां।।
@नलिनतारकेश
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