हर तरफ चर्चा देता है सुनाई जलवों का बस तेरे।
निगाह एक इस तरफ भी डाल दे जरा प्रीतम मेरे।।
चमकता है हर उस शख्स का मुस्तकबिल यहाँ पर।
लेता है हर दिन जो तेरा नाम तहेदिल शाम-सवेरे।।
बहती है दरिया,गुलशन के साए बंजर जमीन भी।
हाथ रख दे माथे अगर जो तू किसी के भी ऐरे-गैरे।।
तमन्ना ही रह जाती है अक्सर ऑखिरी सांस तक।
काश कभी तू आकर उसके सर अपना हाथ फेरे।।
करिश्माई है गजब तू और तेरी ये कायनाते जादूगरी।
उस्तादों के उस्ताद तभी तो तेरी हैं बलैय्याॅ लेते।।
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