तुझे देखकर मैं ग़ज़ल लिखूं।
तुझमें ही या गहरे डूब जाऊं।।
बता तो सही ए मेरे खुदा।
जिम्मा अब ये तुझपे छोड़ूं।।
आती है महक अलहदा।
जिस ओर भी तुझे देखूं।।
फासला न रहे कोई अब।
हर रोज यही दुआ करूं।।
हर तरफ गुलजार तेरा जलवा।
हो इजाजत तो सबको बता दूं।।
होते रास्ते सबके जुदा-जुदा मगर।
मंजिल तो एक तुझको ही जानूं।।
जान गया हूं इश्क है तुझे मुझसे।
"उस्ताद" बस यही सुनना चाहूं।।
@नलिनतारकेश
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