दोस्त मिले तो बहुत ज़िन्दगी के सफर हमें।
तब्दील कब हो गए रकीब* नहीं खबर हमें।।*शत्रु
देखा तो खुद को हमने बहुत बार आईने में।
ओझल रहे मगर अक्स न आया नजर हमें।।
नसीब वाले हैं जिन्हें मिलता यार का प्यार है।
तन्हाई का लेकिन कभी पड़ा नहीं असर हमें।।
बातें छपवाना इश्तहार बना कर कुछ का शगल है।
बहते हैं दरिया के जैसे फरक पड़ता नहीं मगर हमें।।
अभी गुरबतों* के चलते भाव कोई दे न चाहे।*दीन स्थिति
भुला न पायेगा देखना "उस्ताद" ये शहर हमें।।
@नलिनतारकेश
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