जब भी झुका हूं तेरी चौखट के आगे पूरी तरह से।
दिल की हर हसरत खिली मेरी बिना कहे पूरी तरह से।।
लोग उठाएं उंगलियां,झूठे इल्जाम थोपें अगर तुझ पर।
बेफिक्र बढ़ तू मगन हकीकी* के रास्ते पूरी तरह से।।*सच्चाई
होगा नहीं अगर सवाब*, प्यार , इकराम**, दूसरों के वास्ते। *नेकी, **दया
आदमी कहां फिर तो कहेंगे जानवर उसे पूरी तरह से।।
बदल सकता है थोड़ी देर ही डर या प्यार
मिजाज तेरा।
यूं तो बदल सकता है तू खुद को जो चाहे पूरी तरह से।।
तू है मेरा,मैं हूं तेरा ये पढा-सुना तो बहुत बार है।
काश "उस्ताद" मान लूं दिल से मैं बात ये पूरी तरह से।।
@नलिन #उस्ताद