श्याम तुम मुरली बना मुझे अधर से लगा लो।पोर-पोर मेरे सुर प्रीत का गहरे बजा दो।।
जीवन की नैय्या मंझधार में फंसी है ।
कैसे ना कैसे इसे तुम पार लगा दो।।
थक गई अपने ही भार से चलते-चलते।
मुझे हे प्राणनाथ अब तो गले लगा लो।।
गीता का ज्ञान कहां मुझ मूढ समझ में आए। मुझे तो बस गीत अपना प्यारा सुना दो।।
ठगते बड़ा हो दिखाकर विशाल रूप मोहन।
सांवल-सलोना बस रूप तुम मुझको दिखा दो।।
@नलिन #तारकेश
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