माना दिल से बहुत चाहते हो मुझे।
कभी-कभी मगर ये जता भी दो मुझे।।
हर एक वक्त बस मतलब भरी बातें।
बिना मतलब भी कभी कुछ कहो मुझे।।
गिले-शिकवे तो लगे हैं रोजमर्रा में।
जरा खुद हंसो और थोड़ा हंसाओ मुझे।।
हकीकत की राहें पथरीली बड़ी हैं।
आओ नए से कुछ ख्वाब दिखाओमुझे।।
मैं कस्तूरी हूं रहती भीतर तेरे।
रोको ना यार बाहर आने दो मुझे।।
होश में कहां हूं जब से देखा है उसको।
कोई आकर जरा सा संभालो तो मुझे।।
नाम की चर्चा तेरी बहुत है "उस्ताद"।
बना शागिदॆ अपना गंडा बांधो मुझे।।
@नलिन #उस्ताद
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