अद्भुत,अप्रतिम-अपार रूप शिवशंकर है तेरा।
सम्मुख खड़ा श्री चरणों के नत याचक मैं तेरा।।
शीश-जटा,निर्मल,पापमोचनी विराजती मां गंगा।
श्रीचरण प्रक्षालन सौभाग्य मानती अपना गंगा।।
त्रिनेत्र,सौम्य,मनोहर मुख"नलिन"छवि
दुःखहरता।
प्रभु तुम भक्तन के सदा सकल अमंगल
क्षयकरता।।
हो तुम काल के महाकाल,थर-थर कांपे समस्त नरपाल।
देवों के तुम महादेव,पूजते यक्ष,देव,दनुज, दिगपाल।।
श्रीराम नाम सदा निरंतर जपते रहते मगन भाव।
दुःख-सुख,जन्म-मरण से परे सदा निर्विकार भाव।
हे"तारकेश"प्रभु तुम तो अवढरदानी, अपरंपार।
भवसागर तारो हम जीवों को बन करनधार, अपार।।
@नलिन #तारकेश
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