दिल-ए-अजीज जो मुझको अपना बता रहा है।
गम वो ही मुझसे जाने क्यों छुपा रहा है।
माना कि हूं चारागर*नहीं दिल,दिमाग,जिस्म का।*डाक्टर
बेगाना बना पर वो दिल मेरा दुखा रहा है।।
वो बुरा नहीं पता है,जज्बात की कद्र उसे भी है।
दरअसल वक्त के हाथों वो भी एक खिलौना रहा है।।
यूं तो गम अपनी झोली में आदम ने खुद से हैं डाले।
हुए हालात जब बेकाबू वो दुनिया पर झल्ला रहा है।।
बनाया था"उस्ताद" उसने हमें रूहानी मकसद से।
देख मगर हरकतें हमारी खुदा का भी सर चकरा रहा है।।
@नलिन #उस्ताद
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