मांशारदे!सप्तसुरों की राग-रागिनीयां,आकर जरा बता दे।
रचि हैं जो शिव-गौरा ने सब,हमको आकर जरा सिखा दे।
कर्णप्रिय,मनभावन इनकी महिमा,मातेश्वरी हमें तू बता दे।
मीठी सुधारस पोषित वाणी का,तू अपनी रसपान करा दे।
उर रोमांचित धड़के दिव्यभाव से,ऐसा हमको तू महका दे। अंग-अंग पुलकित हो जाए, बस ऐसा मनबोध उमगा दे।।
भाव समाधि लग जाए श्री चरणों में तेरे,ऐसी लौ लगा दे।
जीवन सफल हो जाए अब तो मेरा ऐसी कृपा बरसा दे।।
हृदय सरोवर निर्मल भावों से,तू मेरा परिपूर्ण आज बना दे।
निश्छल"नलिन"खिले सहस्त्रदल,ऐसा अनहद नाद जगा दे।।
@नलिनतारकेश
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