आँखों में ख्वाब हैं मचलते तेरे लिए।
हकीकत में मगर हैं बिखरते तेरे लिए।।
यूँ हम भी कमर हैं बेखौफ कसे तेरे लिए।।
बिन तेरे अब एक पल काटना भारी हो रहा।
सो हर जुगत अब हम आजमाएंगे तेरे लिए।।
हवाएं तो बहा ले जाना चाहती हैं बादलों की तरह।
हम भी ठाने हैं मगर टूट कर बस बरसेंगे तेरे लिए।।
"उस्ताद" डगर आसान कब कहाँ प्यार की रही।
लुटा देंगे यार तन-मन इस बार हम सांवरे तेरे लिए।।
@नलिनतारकेश
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