हकीकत ख्वाब तो ख्वाब तब्दील हकीकत में हो गए।
उनके साथ चले जब-जब दो कदम हैरत में हो गए।।
आँखों में सुकून देता नहीं अब तो और कोई मंजर।
जब से कैद उम्र भर को उनकी मोहब्बत में हो गए।।
बदलती है तकदीर बस एक पल में देखो कैसे।
अब दुश्मन भी सारे हमारी खिदमत में हो गए।।
दुनिया के छूटे झमेले ये चकरघिन्नी के जैसे।
हम रंगे जबसे उनके रंग में फुर्सत में हो गए।।
भूला दुनियावी तसव्वुर* और खुद को भी भूले। *कल्पना
खुदा की जब से "उस्ताद" इबादत में हो गए।।
नलिन "उस्ताद "
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