ये तेरी रहमतों* का ही असर है।*कृपा
सुकूं ए जिंदगी न कोई कसर है।।
धन-दौलत,माल-असबाब बेकार सारे।
चाहिए मुझे तो बस एक तेरी नजर है।।
उठापटक,जद्दोजहद भरी दुनिया में।
बता बिन तेरे कहाँ किसकी बसर है।।
जो बैठ गया आस्ताने* पर आकर तेरे।*चौखट
रात कहाँ रात उसकी तो वो सहर* है।।*सुबह
खुदा की दुनिया में जरा गौर फरमाओ।
हर गम और खुशी सिलसिला ए बहर* है।।*छन्दबद्धता
मुतमइन* हूँ तेरा दीदार तो होकर रहेगा।*इत्मीनान
यूँ ही तो नहीं "उस्ताद" ए जिगर है।।
नलिन "उस्ताद
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