Tuesday 21 January 2020

313:गजल:बन्द आंखो से भी देखती है

521/20

बन्द आँखों से भी देखती है।
लड़की हर बात समझती है।।
कहा तो जरूर कि वो भगवती है।
भोगती मगर वही सब ज्यादती है।।
तुम ही नहीं समझ पाए उसे।
वरना तो वो करामाती है।।
घर बनाती है वो खंडहर को।
बाती सी रौशनी बिखेरती है।।
लाकर कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा।
शिद्दत से वही कुनबा सहेजती है।।
प्यार,जज़्बात के नायाब रंग सारे।
सबके दिलों में वही तो भरती है।।
बयां करें उसकी खूबियों क्या-क्या।
गाँठे तो उस्ताद वही खोलती है।।
@नलिन#उस्ताद

No comments:

Post a Comment