दो दिन ही टिकिए जहाँ आप ससम्मान आए हैं।
वरना कहेंगे लोग करने ये हमें परेशान आए हैं।।
जाने क्यों लोग उम्र को इतनी तवज्जो हैं देते।
हम सभी तो यहाँ बस बनके मेहमान आए हैं।।
रहिए कहीं दो घड़ी या की फिर एक दौर तलक।
कहें सब तो बस यही कि मेरे अभिमान आए हैं।।
लड़ा रहे जो हमको महज़ अपने फायदे के लिए।
घर वोट मांगने वही नेता चोर,बेईमान आए हैं।।
कहो तुम भी कहो यार इल्जाम सब झूठ ही सही।
आब-ए-तल्ख* पी कर हम बड़े इत्मीनान आए हैं।।*आँसू
"उस्ताद" देख कहते उनके नक्श-ए-पा*दहलीज पर।
*पाँव के निशान
चलो देर सही मगर आज खिलके मेरे अरमान आए हैं।।
@नलिन #उस्ताद
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