आँखों में आँखें डाल पूछो उसे।
जो है दिल में बेखौफ कहो उसे।।
जब हमने दिल में बैठाया नाज से।
फिर रुलाता है वो क्यों बोलो उसे।।
दूर खड़ा हो क्यों बनता है तमाशबीन।
पहचान बस इमदाद*की तुम मांगो उसे।।*सहयोग
जो रूठे तो जाके वो घर बैठा करे अपने।
नकाब उतार उसका चेहरा दिखाओ उसे।।
कब तलक हम जान कर भी अनजान बने रहें।
सीधे रस्ते पर चलने को अब मजबूर करो उसे।।
बहुत चला एकतरफा वफा का सिलसिला।
यूँ न निभेगी ऐसा साफ बतलाओ उसे।।
ज्यादा मुरव्वत की "उस्ताद" जरूरत नही।
जो ना माने अगर तो बस पकड़ ठोको उसे।।
@नलिन#उस्ताद
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