महावर दिल में जबसे उसने चस्पा की है।
जीने की ख्वाहिश फिर मुझमें जवाँ की है।।
गरेबाँ में अपने झांक कर वो देख तो लेता।
बेवजह ही नहीं लम्हों ने उससे खता की है।।
वो लगााए इल्जाम चाहे जितने भी उस पर।
पहल कर दरअसल उसने ही नीचता की है।।
हर तरफ छाने लगा था जब अन्धेरे का कोहरा।
उसने दुनिया में उम्मीदे आफताब ज़िन्दा की है।।
देने वाला है वही,यहाँ बस में किसी के कुछ नहीं।
उस्तादी भी उसने ही "उस्ताद" को अता की है।।
@नलिन#उस्ताद
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