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हर कदम हर सांस हमें उसकी जरूरत है।
जिंदगी दरअसल तभी ये खूबसूरत है।।
लिखा क्या तर्जुमा*कर रहे हो क्या।*अनुवाद
अजब सुखनफहम* तेरी जहालत है।।*विद्वान
जम के दौलत,शोहरत तुम सब बटोरो मगर।
राह अंगारे बिछाना ये कौन सी सियासत है।।
हुजूर उतारते हैं क्यों आईने पर आप नाराजगी।
सुना नासाज* आजकल दुश्मनों की तबीयत है।।*खराब
बता रहे एक जमाने से कौन सीता,कौन राम।
नासमझ बन रहे फिर क्यों अजब महाभारत है।।
दिलों में हो दिल से प्यार सबके लिए।
"उस्ताद" यही एक सच्ची इबादत है।।
@नलिन#उस्ताद
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